Jabalpur Cantt News: भू-स्वामित्व के चक्कर में अटका कैंटोनमेंट बोर्ड के सिविल एरिया का निकायों में विलय
Jabalpur Cantt News: The merger of the Cantonment Board's civil area into the bodies is stuck due to land ownership

आर्य समय संवाददाता,जबलपुर। भू स्वामित्व स्थानांतरण को लेकर देशभर के कैंटोनमेंट बोडों का विलय फिलहाल रोक दिया गया है। रक्षा संपदा महानिदेशालय का तर्क है कि बोर्ड के अंतर्गत आने वाला रिहायशी क्षेत्र ही राज्य सरकार या स्थानीय निकायों को दिया जाएगा, जबकि अन्य भूमि एवं भवन रक्षा मंत्रालय के पास ही रहेगी। यही वजह है कि फैसले के 2 वर्ष बाद हिमाचल प्रदेश में सिर्फ एक बोर्ड का स्थानीय निकाय में विलय हो पाया है देश में कुल 62 कैंट बोर्ड है।
बोर्ड का संचालन एवं वित्तीय व्यवस्था रक्षा मंत्रालय की देखरेख में होता है। लेकिन सरकार ने सभी छावनियों का स्थानीय निकायों में विलय करने का फैसला लिया था। उसी के तहत कैंट बोर्ड भंग कर दिए गए थे। इस समय जबलपुर को छोड़कर प्रत्येक कैंट बोर्ड में केंद्र सरकार ने एक-एक सदस्य को नामित किया हुआ है। जबकि पहले प्रत्येक बोर्ड में पार्षदों (मेंबर) के निर्वाचन होते थे।
क्या है मुख्य वजह- सूत्रों के मुताबिक रक्षा संपदा महानिदेशालय का कहना है कि सरकार की मंशा कैंटोनमेंट बोर्ड से सैन्य एवं नागरिक क्षेत्र को अलग करना है। देश में करीब 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि है। जिसमें 62 कैंट बोर्ड के अंतर्गत 1.61 लाख एकड़ रिहायशी भूमि आती है। केंद्र सरकार के उक्त फैसले पर रक्षा संपदा महानिदेशालय के साथ-साथ कई राज्य सरकारों को भी आपत्ति है।
सबसे ज्यादा 13 कैंट बोर्ड उत्तर प्रदेश उसके बाद 9 बोर्ड उत्तराखंड में है। वहीं पांच कैंट बोर्ड मध्यप्रदेश में आते हैं। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकारों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट में कहा है कि स्थानीय निकाय जैसे नगर पालिका, नगर निगम आदि पहले से ही आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। कैंट बोर्ड का नागरिक क्षेत्र लेने पर अतिरिक्त बोझ आएगा।
यदि बोर्ड गैर उपयोगी रक्षा भूमि को भी राज्य सरकारों को हस्तांतरित कर दे तो वहां के स्थानीय निकाय उन जमीनों का वाणिज्यिक उपयोग करके राजस्व के अतिरिक्त संसाधन जुटा लेंगे। राज्य सरकारों के इस प्रस्ताव पर रक्षा संपदा महानिदेशालय राजी नहीं है।
इधर,प्रतिनिधित्व खत्म होने से मंत्रालय तक पहुंच रही शिकायत- बोडों के भंग होने के बाद नागरिकों का प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया है। केंद्र ने प्रत्येक बोर्ड में एक सदस्य नामित तो किया है, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं होती है। जबलपुर कैंट बोर्ड के मामले में तो हाल और ही बेहाल है क्योंकि यहां तो नामित सदस्य भी नहीं हैं। बताया जाता है कि कुछ नामित मेंबर्स ने पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष अपनी पीड़ा रखी थी। सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि कैंट बोर्ड के विलय एवं वहां की समस्याओं को लेकर श्री सिंह जल्द ही देश भर के नामित 61 सदस्यों एवं रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक बुलाने वाले हैं।